नई दिल्ली। पिछले 15 दशक में राजनीति में एक नया दौर शुरू हुआ उसे “मुफ्त राजनीति ” के नाम से जाना जाता रहा है । सभी राजनीतिक पार्टियों चुनाव में अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए जनता को मुक्त में हर चीज देने का वादा करती आ रही है ।
इस परंपरा से लगभग पूरा देश जकड़ता चला जा रहा है । राजनीतिक पार्टियां अपने चुनावी वादों में जनता को मुफ्त बिजली ,मुफ्त राशन , मुफ़्त शिक्षा, मुफ्त शिक्षा,ऋण माफी आदि के माध्यम से वोट वटोरने ने का कार्य करती रही है।अर्थर्शास्त्रियों की माने तो पूरे देश की अर्थव्यवस्था को इस तरह से कमजोर कर दिया है और विशेष कर युवाओं में कार्य के प्रति स्वावलंबी बनने की आदत लगातार कम होती जा रही है। कुछ जानकारों की माने तो बेरोजगारी भत्ते को भी सही नहीं माना जा रहा है।